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तलाक़-ए-राधिकादेव

             राधिका और देव को आज तलाक के कागज मिल गए थे। दोनो साथ ही कोर्ट से बाहर निकले। दोनो के परिजन साथ थे और उनके चेहरे पर विजय और सुकून के निशान साफ झलक रहे थे। चार साल की लंबी लड़ाई के बाद आज फैसला हो गया था। दस साल हो गए थे शादी को मग़र साथ मे छः साल ही रह पाए थे। चार साल तो तलाक की कार्यवाही में लग गए। राधिका के हाथ मे दहेज के समान की लिस्ट थी जो अभी देव के घर से लेना था और देव के हाथ मे गहनों की लिस्ट थी जो राधिका से लेने थे। साथ मे कोर्ट का यह आदेश भी था कि देव दस लाख रुपये की राशि एकमुश्त राधिका को चुकाएगा। राधिका और देव दोनो एक ही टेम्पो में बैठकर देव के घर पहुंचे।  दहेज में दिए समान की निशानदेही राधिका को करनी थी। इसलिए चार वर्ष बाद ससुराल जा रही थी। आखरी बार बस उसके बाद कभी नही आना था उधर। सभी परिजन अपने-अपने घर जा चुके थे। बस तीन प्राणी बचे थे।देव, राधिका और राधिका की माता जी। अब देव घर मे अकेला ही रहता था।  मां-बाप और भाई आज भी गांव में ही रहते हैं। राधिका और देव का इकलौता बेटा, राघव जो अभी सात वर्ष का है कोर्ट के फैसले के अनुसार बालिग होने तक वह राधिका के पास ह

ससुराल : एक लड़की का एहसास

ससुराल में वो पहली सुबह - आज भी याद है.!! ..              😢. ..     😢.  .  . 😢 कितना हड़बड़ा के उठी थी, ये सोचते हुए कि देर हो गयी है और सब ना जाने क्या सोचेंगे ? एक रात ही तो नए घर में काटी है और इतना बदलाव, जैसे आकाश में उड़ती चिड़िया को, किसी ने सोने के मोतियों का लालच देकर, पिंजरे में बंद कर दिया हो। शुरू के कुछ दिन तो यूँ ही गुजर गए। हम घूमने बाहर चले गए। . जब वापस आए, तो सासू माँ की आंखों में खुशी तो थी, लेकिन बस अपने बेटे के लिए ही दिखी मुझे। सोचा, शायद नया नया रिश्ता है, एक दूसरे को समझते देर लगेगी, लेकिन समय ने जल्दी ही एहसास करा दिया कि मैं यहाँ बहु हूँ। जैसे चाहूं वैसे नही रह सकती। कुछ कायदा, मर्यादा हैं, जिनका पालन मुझे करना होगा। धीरे धीरे बात करना, धीरे से हँसना, सबके खाने के बाद खाना, ये सब आदतें, जैसे अपने आप ही आ गयीं, घर में माँ से भी कभी कभी ही बात होती थी, धीरे धीरे पीहर की याद सताने लगी। ससुराल में पूछा, तो कहा गया -अभी नही, कुछ दिन बाद! .. जिस पति ने कुछ दिन पहले ही मेरे माता पिता से, ये कहा था कि पास ही तो है, कभी भी आ जायेगी, उनके भी सुर बदले हुए

मेरा यार आ गया…

ये दुआ है रब से मेरी ,                            की कायनात का आशियाना बना रहे , खुदा दूर ना करे हमको ,                           हमारी दोस्ती का फ़साना बना रहे। । ये दिल की आवाज है बन्दे ,                           दिलदार समझते हैं , हीर-राँझा की तरह लोग मेरा भी                           प्यार समझते है। । पुरवा बयार फिर से ,                          दिल को जगा गया, सावन-ए-फुहार फिर से ,                          मन जग-मगा गया। । फिर से मेरी दोस्ती का,                         बहार छा गया  ये  पैग़ाम है ख़ुशी का 'देव'                          की तेरा यार आ गया।।                                                            - आशीष पाण्डेय 'देव '

तू कब मेरी होगी? नहीं जनता _ _ _

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किसी को मुहब्बत कि सच्चाई मार डालेगी , किसी को मुहब्बत कि गहराई  मार डालेगी , करके मोहब्बत कोई नहीं बचेगा , जो बच गया उसे तन्हाई मार डालेगी  ।। दिल में छिपी यादों से सवारूँ तुझे, तू दिखे तो अपनी आँखों में उतारू तुझे , तेरे नाम को अपने लबों पे ऐसे सजाऊँ , गर सो भी जाऊं तो ख्वाबों में पुकारूँ तुझे  ।। जान नहीं सिर्फ साथ चाहिए , सच्चे प्यार का एहसास चाहिए , जान  तो एक पल में दी जा सकती है , पर हमें आपका प्यार आखिरी साँस तक चाहिए  ।। कैसे जी रहा हूँ नहीं  जनता , क्यूँ अब तक ज़िंदा हूँ    नहीं जनता , मौत का क्या है आनी ही है एक दिन, तू कब आयेगी  नहीं जनता  ।। चाहता हूँ सिर्फ तुझे ज़माना जनता है , तू कब तक चाहेगी  नहीं जनता , तेरा था , तेरा हूँ, तेरा ही रहूँगा , तू कब मेरी होगी ?  नहीं जनता ।।                          आशीष पाण्डेय 'देव'

आयुर्वेदिक दोहे (कृपया आप लोग इसे कॉपी करके कही रख ले ताकि आगे काम आये )

1.जहाँ कहीं भी आपको,काँटा कोइ लग जाय। दूधी पीस लगाइये, काँटा बाहर आय।। 2.मिश्री कत्था तनिक सा,चूसें मुँह में डाल। मुँह में छाले हों अगर,दूर होंय तत्काल।। 3.पौदीना औ इलायची, लीजै दो-दो ग्राम। खायें उसे उबाल कर, उल्टी से आराम।। 4.छिलका लेंय इलायची,दो या तीन गिराम। सिर दर्द मुँह सूजना, लगा होय आराम।। 5.अण्डी पत्ता वृंत पर, चुना तनिक मिलाय। बार-बार तिल पर घिसे,तिल बाहर आ जाय।। 6.गाजर का रस पीजिये, आवश्कतानुसार। सभी जगह उपलब्ध यह,दूर करे अतिसार।। 7.खट्टा दामिड़ रस, दही,गाजर शाक पकाय। दूर करेगा अर्श को,जो भी इसको खाय।। 8.रस अनार की कली का,नाक बूँद दो डाल। खून बहे जो नाक से, बंद होय तत्काल।। 9.भून मुनक्का शुद्ध घी,सैंधा नमक मिलाय। चक्कर आना बंद हों,जो भी इसको खाय।। 10.मूली की शाखों का रस,ले निकाल सौ ग्राम। तीन बार दिन में पियें, पथरी से आराम।। 11.दो चम्मच रस प्याज की,मिश्री सँग पी जाय। पथरी केवल बीस दिन,में गल बाहर जाय।। 12.आधा कप अंगूर रस, केसर जरा मिलाय। पथरी से आराम हो, रोगी प्रतिदिन खाय।। 13.सदा करेला रस पिये,सुबहा हो औ शाम। दो चम्मच की मात्रा, पथरी

दिल्ली के लिए ....

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क्या है ? समां - ए - दर्द का , मुझसे कहा जाता नहीं । है रो रही ये बच्चियां , मुझसे सहा जाता नहीं ।। बढ़ रहे हैं पाप अब , पर्वत पिघलनी चाहिए। हो कहीं भी आग पर,  ये आग  जलानी चाहिए ।। खोखलेपन में जी रही , दिल्ली सुधारनी चाहिए। ज्वाला जल लो दिल में की , दुनियाँ बदलनी चाहिए ।।                                       आशीष पाण्डेय "देव"         

......इन तनहा-तनहा रातों में

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ना जाने कितना रोया हूँ  , इन तनहा - तनहा रातो में ।  ना जाने कब से खोया हूँ , तेरी प्यारी -प्यारी बातों  में ।। ना जाने कब से रोग मुझे , चोरी से आकर लगा गयी । ना जाने कब सोती आँखों से , मेरी निंदिया चुरा गयी ।।  पहले तो सोता था रातों में, ना डूबा रहता था ख्वाबों में ।  ना मैं कभी घूमने गया कभी , था इसके पहले बागों में ।।                                          आशीष पाण्डेय "देव"                                                                आगे पढ़ाने के लिए थोड़ा इंतज़ार करें .........