अरमान हमारे रुक ना सके , वो यार हमारे रुक ना सके । हम पलकें तो बिछाए बैठे थे , पर आंसू के धार हमारे रूक ना सके ।। जुल्फों की शरारत , होठो की नमी , आँखों का नशा निराला है । वो प्यार हमारा अम्बर सा , और यार चमकता सितारा है ।। आँखों में काजल की रेखा , तो दो धारी तलवार लगे । औ पतली कमर कमानी सी , पानी में चलती पतवार लगे ।। कंचन सी काया दिलवर का , दिनकर देखकर जलता है । सुनीता की नज़ाकत सीता सी , दिल बर्फों की तरह पिघलता है ।। कंगने की खनक, पायल की छनक , झरने की कल-कल जैसी है । गोरी अंगुली में अंगूठी की चमक , हीरे की नजाकत जैसी है ।। पलकें झुका ले शाम औ पलकें उठा ले दिन खिले । जैसे विरहणी राधिका से , श्याम आकर फिर मिले ।। बोले तो वो ऐसे लगे , जैसे गीत गाती कोकिला । अंदाज़ ऐसे हैं कि जैसे, मुस्कुराती हो शिला ।। आज उसके आगमन से , है फूल बरसाता चमन । दिल शहादत दे रहा है , नयन करते है नमन ।। आशीष पाण्डेय 'देव '