Posts

Showing posts from May, 2013

दिल्ली के लिए ....

Image
क्या है ? समां - ए - दर्द का , मुझसे कहा जाता नहीं । है रो रही ये बच्चियां , मुझसे सहा जाता नहीं ।। बढ़ रहे हैं पाप अब , पर्वत पिघलनी चाहिए। हो कहीं भी आग पर,  ये आग  जलानी चाहिए ।। खोखलेपन में जी रही , दिल्ली सुधारनी चाहिए। ज्वाला जल लो दिल में की , दुनियाँ बदलनी चाहिए ।।                                       आशीष पाण्डेय "देव"         

......इन तनहा-तनहा रातों में

Image
ना जाने कितना रोया हूँ  , इन तनहा - तनहा रातो में ।  ना जाने कब से खोया हूँ , तेरी प्यारी -प्यारी बातों  में ।। ना जाने कब से रोग मुझे , चोरी से आकर लगा गयी । ना जाने कब सोती आँखों से , मेरी निंदिया चुरा गयी ।।  पहले तो सोता था रातों में, ना डूबा रहता था ख्वाबों में ।  ना मैं कभी घूमने गया कभी , था इसके पहले बागों में ।।                                          आशीष पाण्डेय "देव"                                                                आगे पढ़ाने के लिए थोड़ा इंतज़ार करें .........

श्रृंगार - भाग द्वितीय

अरमान हमारे रुक ना सके , वो यार हमारे रुक ना  सके । हम पलकें तो बिछाए बैठे थे , पर आंसू के धार हमारे रूक ना सके ।। जुल्फों की शरारत , होठो की नमी , आँखों का नशा निराला है  । वो प्यार हमारा अम्बर सा , और यार चमकता सितारा है ।।  आँखों में काजल की रेखा , तो दो धारी  तलवार लगे । औ पतली कमर कमानी सी , पानी में चलती पतवार लगे ।। कंचन सी काया दिलवर का , दिनकर देखकर जलता है । सुनीता  की नज़ाकत सीता सी , दिल बर्फों की तरह पिघलता है ।।  कंगने की खनक, पायल की छनक , झरने की कल-कल जैसी है । गोरी अंगुली में अंगूठी की चमक , हीरे की नजाकत जैसी है ।। पलकें झुका ले शाम  औ पलकें उठा ले दिन खिले ।  जैसे विरहणी राधिका से , श्याम आकर फिर मिले ।। बोले तो वो ऐसे लगे , जैसे गीत गाती कोकिला । अंदाज़ ऐसे हैं कि जैसे, मुस्कुराती हो शिला ।। आज उसके आगमन से , है फूल बरसाता चमन । दिल शहादत दे रहा है , नयन करते है नमन ।।                                                                 आशीष पाण्डेय 'देव '