दिल्ली के लिए ....

क्या है ? समां - ए - दर्द का ,
मुझसे कहा जाता नहीं ।
है रो रही ये बच्चियां ,
मुझसे सहा जाता नहीं ।।

बढ़ रहे हैं पाप अब ,
पर्वत पिघलनी चाहिए।
हो कहीं भी आग पर,
 ये आग  जलानी चाहिए ।।

खोखलेपन में जी रही ,
दिल्ली सुधारनी चाहिए।
ज्वाला जल लो दिल में की ,
दुनियाँ बदलनी चाहिए ।।

                                      आशीष पाण्डेय "देव"

        

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