Posts

Showing posts from April, 2013

श्रृंगार

Image
 एक नजर  लगी उसकी  मुझको और मै दीवाना हो गया , वो ऐसी अदा थी हुस्न की मै बैठे-बैठे खो गया     । क्या रंग है , क्या रूप है  क्या गालों पर है  लालिमा, रेशम से घने बादल जैसे क्या बालों पर है लालिमा  । अनजान सा पच्छी मै उड़ता था  दूर - दूर तक अंबर में , अब याद आ रही है उसकी  तो घूर  रहा हूँ समुन्दर  में  ।  हिरनी से नयन , नागिन सी कमर  और गोर  बदन कंवारे हैं , कमसीन नज़ाकत  नूर भरे  मनो रचनाकर स्वयं  सँवारे है । कानों के  उसके कर्णफूल  सागर के मोती जैसे है ,  माथे की  उसके बिंदिया तो  चन्दा की ज्योति जैसे हैं ।  सूरज भी हमेशा शर्माता है  उसके होठों की लाली से,  काली रातें  मुर्झाती हैं , उसके भौहों की काली से   ।  उसके नाजुक स्तन के उभार  हिमगिरी की नज़ाकत जैसी हैं  होठों के बीच दाँतो की चमक, सावन में क़यामत  जैसी हैं  । आँखों में काजल की रेखा  तलवार के धारों जैसी हैं  आवाज़ कूकती कोयल सी,  पाजेब सितारों  जैसा हैं   । मुस्कान  गुलाबों जैसा है  अंदाज़  बहारों जैसा है  लाल - गुलाबी पलकें तो , गंगा के करार