दहेज़ : एक सामाजिक कथा
अमीरों का ऐश गरीबों की मौत बनाती है , छीन के सुख बेचारों का दुःख सीने में भर देते है , बेचारे अपनी बेटियों को मजदूरी में बड़ा कर देते है, दहेज़ बिन करके विवाह मरने को खड़ा कर देते है, गरीबों की ना गरीबी समझे, वे मौज की हंसी उड़ाते है, दहेज़ के कारन बहुओं को , जिन्दा घर में जलाते है, माँ-बाप बेचारे बिलखाते, जब उनके दरवाजे आते है, उन लोगो के गाली सुनते, पुलिसों से पिटे जाते थे, दहेज़ लेना दुनिया का बन गया है एक शौक , हम सभी युवाओं को मिटाना है इसका खौफ, आशीष पाण्डेय"देव"