मेरे सपनो की परी ......
मेरे दिल में क्या उठता ? कैसे मै तुमको बतलाऊ ? जो देखू तेरा साया भी , तेरे पास खीचा जाऊं !! जो कभी अकेले बैठू तो , बस तेरी याद सताती है ! अब तो मेरे सपनो में भी , तू चोरी-चोरी आती है !! मेरे दिल के आशियाने में , तू चोरी से सो जाती है जो हाँथ फेरने को सोचू मेरी अंखिया खुल जाती है !! ये रोग लगा मुझको कैसा ? इक बार मुझे बतला देना , तुम मेरे सपनों में आकर , ना मुझको फिर से जगा देना !! फिर मै तुझको अपने दिल में आँखों के रस्ते छुपा लूँगा , अपना सब सुख तुझको देकर , तेरे भी गम मै उठा लूँगा !! जब आज रात मै फीर सोऊ तुम सपने में मेरे होना , मै तेरे दिल का राजा होऊ , तुम मेरे दिल की रानी होना !! तब सूरज दूर गगन से हो , चांदनी तब शितालाता लाये बस प्रेम की सरिता बहती हो , हम दोनों उसमे बहते जाएँ !! अब मेरे दिल का बस ख्वाब यही , तुझको पाना तुझमें रहना , बस कृपा करके मेरे ऊपर मेरे सपनो में आती रहना !! जो साकार ना हो ये सपना तो , ख्वाब देखने में क्या परेशानी है ? मै तेरे दिल का राजा हूँ तू मेरे दिल की रानी है !!