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Showing posts from May, 2011

हजार गुड अन्ना हजारी के

खुद शुख ना करे वो, दूसरो को शुख की नीद सुलाता है, भ्रस्टाचार अन्याय के खिलाफ, सदा ही वो चिल्लाता है, सभी न्याय के हकदारों को , न्याय की कुर्सी दिलाता है, अन्यायी, पापी, दुस्कर्मियों को, काल की नीद सुलता है,  जिसकी बातो को कोई ना सुने, उसकी भी बात उठता है, न्याय दिलाकर उनको भी, सुख की हँसी  हसता है, ऐसा देखकर पापियों दुस्कर्मियों की, कटती नहीं अब मस्ती है, सरकार भी जो गलत करे, तो जलती उसकी बस्ती है,  वो मातृभूमि का रखवाला, गरीबो के मुह का है प्याला, भ्रस्टाचार बुराइयों को, जलाने का है गोला, ज्वाला,  उठ जाओ प्यारे अब तुम भी, और दे दो उनका साथ,  रक्षा करने को जननी का, अब बढाओ हाथ से हाथ,                                                                     आशीष पाण्डेय "देव"

करम अपना-अपना...

किसी को है मिलाती घी चुप्पी रोटी, किसी को है सुखी रोटी को तरसना, यही है भाई करम अपना-अपना ... एक भाई दुसरे के, दुःख पर है हंसता, मरते प्यासे भाई पर, पानी भी नहीं छिड़कता एक को है मिलता, राजशी खाना, दुसरे को तो है भूखे ही मरना यही है भाई करम अपना-अपना ... कलयुग की ऐसी कड़ी की लड़ी में, मरना है प्यासे को पानी की झड़ी  में, नसीब नहीं है दुखिया को, पानी के भी छीटें पड़ना, सुखियों के सर पर है बहता, मीठे  पानी का सुन्दर झरना, यही है भाई करम अपना-अपना, यही है भाई करम अपना-अपना !!                                                                                                   आशीष पाण्डेय "देव"