हजार गुड अन्ना हजारी के
खुद शुख ना करे वो, दूसरो को शुख की नीद सुलाता है, भ्रस्टाचार अन्याय के खिलाफ, सदा ही वो चिल्लाता है, सभी न्याय के हकदारों को , न्याय की कुर्सी दिलाता है, अन्यायी, पापी, दुस्कर्मियों को, काल की नीद सुलता है, जिसकी बातो को कोई ना सुने, उसकी भी बात उठता है, न्याय दिलाकर उनको भी, सुख की हँसी हसता है, ऐसा देखकर पापियों दुस्कर्मियों की, कटती नहीं अब मस्ती है, सरकार भी जो गलत करे, तो जलती उसकी बस्ती है, वो मातृभूमि का रखवाला, गरीबो के मुह का है प्याला, भ्रस्टाचार बुराइयों को, जलाने का है गोला, ज्वाला, उठ जाओ प्यारे अब तुम भी, और दे दो उनका साथ, रक्षा करने को जननी का, अब बढाओ हाथ से हाथ, आशीष पाण्डेय "देव"