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Showing posts from March, 2011

चांद वेडस सितारा (हास्य)

एक बार एक सितारे ने एक चांद से कहा -  ए मेरी जान , तू बात दे अपना नाम , तो तुझे मै खिलावूंगा , बनारस वाला मीठा पान, चांद ने कहा-  अरे बद्तमीज , तेरे पास हे  इतना ही पैसा, तो जाके खरीद ले , अपने तन के लिये एक कमीज, तारा शरमाकर बोला , मै शरीर हू  इसलिये खोला, ताकी दिखू बिलकुल सलमान खान , और तेरे बाप के साथ तू भी मेरी शादी जाये मान, चांद ने कहा -  अच्छा ! तो अब समझी मै प्यारे, क्या हे तेरे इशारे , ये पगली तो तुझपे कब से फिदा हे, लेकिन तू न जाने क्यो मुझसे जुदा हे, मै तो कब से  करना चाहती हू वारे - न्यारे  लेकिन एक तू ही कि  अभी तक लागा रहा हे मेरे नारे , तारा बोला -  बस रुक जा मेरी जान  मै २० मिनट मी आता हू  रोज - रोज का झंझट  आज ही नीपटातां हू  २० मिनट मे तारा  चांद के सामने आया  अपने संग मे दो  गुलाब का माला लाया  तारा ने चांद को , चांद ने तारा को माला पाहनाया  सुहाग रात मानाने को तारा  चांद को लेकर नभ मे आया  नभ मे तारा जब चांद को  दूर दूर तक तहलाया, चांद के पाव जब थक गये, तारा ने पाव भी सहलाया  तारा प्यार बढाने को  जब चांद के समीप आता हे  चुंबन लेने को चंदा के  होठो को अपने

चाइना का च्यवनप्राश(हास्य)

एक बार एक व्यक्ति च्यवनप्राश खरीद रहा था. तभी एक सज्जन भाई वहां पर आते हैं और पूछते है अरे भाई क्या खरीद रहे हो?  दूसरा बोला - च्यवनप्राश यार  सज्जन - कौन सी कंपनी का  दूसरा बोला -च्यवनप्राश तो च्यवनप्राश इसमें कौन सी कंपनी? सज्जन बोला ---- अरे अजनबी मेरे भाई, तू उसकी महिमा जान न पाई  जब सब चीजों का दम हो टाईट तो वह उनसे करता है फाइट  जब महंगाई हलचल मचाई बात करने में दिक्कत लाई तब वह निकल कर सामने आया  अपने साथ सस्ता मोबाईल लाया  थी उसमें बड़ी ही खटकरम  न बजता था गाना, न आता था दम  अब देखो बजता है गजब का सरगम  लिए हुए इसको क्या दिखते हैं हम  दूसरा बोला - दिलवादे भाई हमको भी  कोई चाइना का च्यवनप्राश  जो सस्ता हो बढ़ीयां भी हो   और लगे घर वालों को भी झकाश सज्जन -  तू कहता है तो दिलवाता हूँ  मैं चाइना से ही तेरे लिए च्यवनप्राश मंगवाता हूँ तू खायेगा उसको एक बार  तंदुरुस्त दिखेगा बार-बार  बन जायेगा तू हनुमान  दिखेगा बिलकुल आलीशान  ताकत का तेरे थाह नहीं  बन जायेगा तू पहलवान सही  जा करके सज्जन दूकानदार से देशी चोटा दिलवाता  थोडा खाना और थोडा सा पुरे शरीर में लगा कर सो जाना  सुबह उठकर

नवरंगी राजनीती

आय चुनाव देखकर, मंत्री भी चल दिए, राजनीती का ये सभी, पांसा बदल दिए, जो कल तक नहीं उठते थे, सुनने को जनता की आवाजें, वो आज फिरक रहें है, जन-जन के दरवाजे- दरवाजे  देखकर काम किसानों के, बढ़ा दिए भाव सामानों के, डीजल,पेट्रोल,प्याज,चीनी  इनका चढ़ गया दाम असमानों पे नेता उनके हैं उचक्के चोर, जो दिन भर करते उनका शोर, खाने के लिए वे दौड़ते हैं, समोसे और चाय पर फिरते हैं, जनता को अपनी माया में, चुनाव के समय फुसलातें है, जगह जगह पर मीटिंग कर , अपनी अच्छाई सुनाते है, अच्छाई उनकी सुन - सुन कर, जनता अंधी हो जाती है, कुछ सोचे समझे बिना ही, उनकी सरकार बनती है, बनकर राजा वे राजमहल में  रंगीन रंग रंगते है  जनता की परेशानी होवे , तो दरवाजे से ही भागते है भोली जनता कुछ ना बोले  अपने ही करम को वो कोशे, अपनी गलती को मानते है, जो जैसा करते हैं वैसा पाते है !!                                                       आशीष पाण्डेय "देव"